Nivedita Nilayam

सेवा की सैद्धांतिकी एवं व्यावहारिकी: सेवाग्राम का अध्ययन
गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, नई दिल्ली द्वारा स्वीकृत क्रियात्मक शोध परियोजना
वैयक्तिक अध्‍ययन
खड- 1. सामान्‍य जानकारी
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संस्‍था का नाम
निवेदिता निलयम
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सम्पूर्ण पता:
निवेदिता निलयम युवा केंद्र, ग्राम- साटोडा, पोस्ट- नालवाडी जिला– वर्धा, (महाराष्ट्र),पिन-442001 
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संस्‍था का सामान्‍य परिचय
वर्धा शहर से 5 किलोमीटर दूर साटोडा गांव में निवेदिता निलयम स्थित है। गाँधी जी के आदर्शो एवं विनोबा भावे के विचारों पर आधारित यह संस्था पुरे देश में युवाओं को उनके भविष्य निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रही है। इस संस्था का मुख्य कार्य है वैसे युवा जो महात्मा गाँधी के बताये मार्ग पर चलकर जैसे की ब्रम्हचर्य का पालन करते हुए अपना भविष्य का निर्माण करने के लिए इच्छूक होते है उनको आश्रम में दाखिला कराया जाता है और नई तालीम के आधार पर हैंडलूम का प्रशिक्षण दिया जाता है । इसके बाद वे युवा अपने समाज में जाकर कार्य कर अपने साथ साथ और लोगों को जोडकर समाज कार्य करते है । इस संस्था के संकलनकर्ता प्रवीना बहन है ।
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स्‍थापना वर्ष
निवेदिता निलयम की स्थापना 27 अप्रैल 1990 को हुई ।
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संस्‍था के उद्वेश्‍य
ऐसे युवा जो अपने जिन्दगी के उद्देश्य के तलाश में  भटकते है , शांतिपूर्ण जीवन की प्रशस्ति हो सकती हो ऐसें सामाजिक ढांचे के बारे में जिन्हें अनेक प्रश्न और खोज हैं, जो अपने चिलाचालू जीवन से संतुष्ट नही है अर्थात खाओ पीओ और मजा करने वाली जीवन से संतुष्ट नही है। इस प्रकार के युवा रोजमर्रा के जीवनपथ से अलग पड़ जाते है , उन्हें ऐसा स्थान चाहिए जहाँ उनके अनेक विध प्रश्नों समाधानकारी उतर मिल सके । जहाँ उन्हें उनके खोज की चाबियाँ मिले, समविचारी साथी मिले, समाज में जाकर काम करने की हिम्मत मिले और अपने सपनो की जिन्दगी मिले । निवेदिता निलयम ऐसे युवाओं के लिए इस उद्देश्य से चराचर जगत मेरा कुटुंब है, ऐसी भावना विकसित करके जिम्मेदारी को यहाँ तक बढ़ाना होगा । इसी उदेश्य के साथ विवेदिता निलयम पिछले 27 वर्षों से युवा निर्माण के कार्यों को करता चला आ रहा है ।
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संस्‍था द्वारा किए जा रहें कार्यो का विवरण
निवेदिता निलयम अपने व्यप्क्क दृष्टिकोण को प्राप्य करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को जिन्हें वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रीती से सिखाया जाता है । सदा जीवन उच्च विचार यहाँ के स्थान की मुख्य बात है । इनका सहज जीवन निम्न है –
1.      अन्न के लिए खेत में शारीरिक श्रम, रसोई कार्य एवं कपड़ो के लिए कताई ।
2.      प्रार्थना , ध्यानं , योग का नित्य रोज अभ्यास किया जाता है ।
3.      एक दुसरे के ध्येय के प्रति सबकी रूचि हो इसका विकास किया जाता है ।
4.      गाँधी जी के ब्रम्हचर्य के सिधान्तो को व्यवहार रूप में लेन की प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ।
5.      खादी तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है ।
6.      खादी का कपड़ा बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है ।
7.      वर्तमान समय में देश के सभी युवाओं के साथ बातचीत के माध्यम से गाँधी के विचारों को प्रचार – प्रसार के लिए युवा संवाद अभियान चलाया जा रहा है । जिसके संकलन कर्ता  अशोक भारत जी है ।

खंड- 2 . सेवा (सेवाग्राम)  अवधारणा के पश्‍चात प्रभाव
संगठनात्मक और पर्यावरण सेटिंग के बारे में जानकारी
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पर्यावरणीय प्रभाव
पर्यावरणीय दृष्टि से देखें तो नेवेदिता निलयम पर्यावरण के काफी समतुल्य लगता है ।  इस संस्था का पर्यावरण बिलकुल ही शुद्ध है एवं यह पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी सेवाओं को प्रदान करता है । आश्रम के चारो तरफ हरे भरे पेड़ – पोधों को लगाया गया है । आश्रम के भवन का निर्माण ग्रामीण स्तर पर उपलब्ध होने वाले ग्रामीण संसाधनों से ही बनाया गया है । इस आश्रम के परिसर में में ऐसी किसी भी प्रकार की तत्वों को या संसाधनों को नही उपयोग में लेन की कोसिस किया जाता है जिससे की पर्यावरण को किसी भी तरह से नुकसान हो ।
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सामाजिक प्रभाव
 सामाजिक दृष्टि से देखें तो निवेदिता निलयम काफी कारगर साबित होता है । गाँधी जी बताये आदर्शो पर चलकर एक पूरक समाज निर्माण में अपनी भूमिका को कायम करती है यह संस्था । इस संसथान में निवास करने वाले सभी भाई – बंधुओं में परस्पर आपसी भाईचारा के साथ रहने का जिवंत उदाहरण देखने को मिलता है । जों भी आश्रम में निवास करता है वो परस्पर एक दुसरे को पाना सहयोगी साथी मानकर एवं इसी प्रकार का व्यवहार करते हुए अपना उदेश्य को प्राप्त करत है । सभी लोग जाती, धर्म , क्षेत्र ,भाषा , इत्यादि चीजों से बिलकुल भेदभाव रहित होते है । समाज के अंदर एकता कायम हो इस दृष्टि से आश्रम में सभी लोग सामाजिक समभाव का व्यवहार रखते है ।
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आर्थिक प्रभाव
यह संस्थान पुर्णतः गाँधी विचारों पर आधारित है । विवेदिता निलयम किसी भी सरकारी धन का उपयोग नही करती है । अपने आर्थिक कमी को पूर्ण करने के लिए संस्थान में हिं खादी का निर्माण किया जाता है । इसके साथ साथ देश के समस्त सर्वोदय व्यक्तियों से साल में एकबार एक हजार रूपये विवेदित निलयम को दान के रूप में देने के लिए प्रेरित किया जाता है और उनसे लिया भी जाता है । इस संस्थान में सभी को पुर्णतः आत्मनिर्भर बनाने का उतम प्रयास किया जाता है ।
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राजनैतिक प्रभाव
राजनितिक दृष्टि से इस संस्थान में किसी भी प्रकार का कार्य नही किया जाता है।  राजनितिक गतिविधि को करने वाले लोगों के लिए यह संस्था बिलकुल प्रवेश वर्जित करके रखती है । यह संस्था पूरी तरह से गाँधी जी के आदर्शो को अपनाकर युवाओं के उज्जवल भविष्य निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करती है ।
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वर्तमान स्थिति को प्रभावित करने वाले कारक
वर्तमान समय में इस संसथान को प्रभावित करने वाले अनेक कारक है। आधुनिकता, उपयोगितावाद, भौतिकतावाद, भोगविलासिता जैसी समस्याओं से जूझते हुए यह संस्था अपना कार्य अपने दृढ निष्ठां के साथ क्र रहा है ।
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प्रमुख चुनोतियां एवं मुद्वे
अपने उदेश्य एवं गाँधी के आदर्शो को सम्पूर्ण देश में प्रसारित करने के उद्देश्य से प्रेरित यह संस्था तमाम तरह के चुनौतिओं का सामना करना पड़ता है । जैसे – युवाओ को गाँधी के विचारो से जोड़ना, व्यक्तित्व निर्माण करना , अपने भविष्य का निर्माण करने में युवाओ को मदद करना । आज के युवाओ के अन्दर गाँधी के प्रति फैली भ्रन्तिओं को युवाओ के अंदर से निकालना एवं गाँधी के सचे विचारों से उनको अवगत करना । आज देश के अधिकांश युवा या देश का लगभग 70 प्रतिशत युवा  गाँधी जी को नापसंद करते है , ऐसे युवाओं को गाँधी जी के विचारों से अवगत कराना भी चुनौतीपूर्ण कार्य है ।
     खंड-.3  रणनीतियाँ एवं उठाए गए कदम के संदर्भ में दृष्टिकोण : एजेंसियां ​​और कार्यकर्ता में शामिल
सेवा की अवधारणा के संदर्भ में जानकारी
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सेवा को कैसे परिभाषित करेंगे?
निवेदिता निलयम के कुशल कार्यकर्त्ता माननीय अशोक भारत बताते है की समाज के सभी लोग न्यायपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए किया गया कार्य ही सेवा है । इनके अनुसार सेवा के लिए किसी भी प्रकार की सर्टिफिकेट या दस्तावेज की जरूरत नही है और न ही किसी का आदेश लेने की जरुरत है । जो लोग अपने हृदय से किसी मदद करना चाहते है और फिर कल्याण की दृष्टि से किसी का मदद करते है जिससे वह व्यक्ति न्यायपूर्ण जीवन जीने लगता  है  यही सेवा है ।
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सेवा के क्षेत्र में संस्थागत प्रयास
निवेदिता निलयम लगभग 27 वर्षों से वर्धा में कार्य कर रहा है, युवाओं में कौशल निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होकर युवा निर्माण का कार्य कर रहा है । देश में जो युवा अपने भविष्य निर्माण करने के लिए इधर उधर भटक रहे है ऐसे युवाओं को निवेदिता निलयम अपना आश्रम में रखकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है । जिसका कोई भी शुल्क नही लिया जाता है। यह संस्था उनलोगों का स्वागत करती है जो अपनी स्वयं की इच्छा से सीखना चाहते है ।
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कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए प्रयास
अभीतक लगभग 150 कार्यकर्ताओं ने निवेदिता निलयम के आश्रम में अपना निवास बनाकर कौशल  विकास करके देश के विभिन्न हिशों में अपना सेवा प्रदान कर रहे है । ऐसे ही है अशोक भारत जी जो 1990 से इस संस्था के साथ अपनी सेवा प्रदान करते आ रहे है । उन्होंने देश के कोने – कोने में जाकर युवाओं में देश के प्रति अपनी जिम्मेदारिओं एवं अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए युवाओं को प्रेरित कर रहे है। युवाओं के अंदर रचनात्मक गुणों का विकास करने के उद्देश्य से सम्पूर्ण देश को जगाने का काम कर रहे है । इसी तरह सुकाभाऊ चौधरी है जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन दान कर दिया । अंतिम समय में उन्होंने अपने शरीर को भी दान कर दिया । अभी वर्तमान में अशोक भारत जी युवा संवाद कार्यक्रम को चला रहे है, जिसके माध्यम से वे देश के युवाओ को गाँधी विचार से अवगत कराते हुए  कौशल एवं व्यक्तित्व निर्माण के लिए युवाओ को प्रेरित करने का कार्य कर रहे है । 
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प्रभावी रणनीतियां
युवा संवाद अभियान
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अपेक्षित लक्ष् एवं परिणाम
निवेदिता निलयम का लक्ष्य है की देश के ऐसे सभी युवा जों अपने जिन्दगीं के उद्देश्य के लिए इधर-उधर भटक रहे है, उनको आश्रम में रखकर प्रशिक्षित किया जाता है और उनको अपने भविष्य को निर्माण करने का सुअवसर प्रदान किया जाता है । इस प्रकार के देश के सभी युवाओं को प्रशिक्षित कर देश में ही नही सम्पूर्ण विश्व में गाँधी जी के आदर्शो को कायम किया जाय ।
खंड-.4  उभरकर आने वाली चुनौतियां: विभिन्न दृष्टिकोण
वैयक्तिक एवं सामुदायक स्तर पर
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वैयक्तिक स्तर पर आने वाली चुनौतियाँ
संस्था को युवाओं के व्यक्तित्व निर्माण में व्यक्तिगत स्तर पर विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । गाँधी जी ने नई तालीम को सम्पूर्ण भारत्त के शिक्षा व्यवस्था में लाने के लिए जो प्रयास किया था , परन्तु आज भी इस कार्यक्रम को प्रभावी सिक्षा व्यवस्था में लागू नही किया जा सका , इसलिए इस नई तालीम को संरक्षण देना बहुत बड़ी चुनौती है । संस्था का मूल उद्देश्य है की इस नई तालीम को एक एक जन तक प्रसारित करके गाँधी जी के सपनो को स्वीकार करना बहुत बड़ी चुनौती है ।
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सामुदायिक  स्तर पर आने वाली चुनौतियाँ
समुदायिक स्तर पर इस संस्था के सामने समुदाय में गाँधी जी के नई तालीम को स्थापित करना चुनौती है । आज का समुदाय बिलकुल आधुनिक होता जा रहा है । लोग अब गाँधी जी के बताये मार्ग पर चलने पर थोडा भी विचार नही करते है  ।ऐसे में समुदाय में जो नई पीढ़ी उभरकर आ रही है उस पीढ़ी को गाँधी जी के विचारों से अवगत कराते हुए उनको कौशल विकास का कार्य करना बहुत बड़ी चुनौती है । समुदाय विकास में अपनी जिम्मेदरियो से भाग रहे लोगों के अंदर अपनी जिम्मेदारी को लेने के लिए उनका विकास किस तरह से किया जाय वर्तमान समयी की बहुत बड़ी चुनौती है ।
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परियोजना संचालन में चुनौतिया
संस्था पूरी तरह स्वयं सेवा के आधार पर चलती है । इस संस्था को धन किसी भी सरकारी योजना या कम्पनियों द्वारा नही प्राप्त होता है । जिस कारण इसको अपने परियोजनाओं को संचालित करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है फिर भी इस चुनौती को स्वीकार करते हुए निवेदिता निलयम अपनी योजनाओं को सफलतम रूप से चलाता है । किसी भी संस्था से भी किसी प्रकार का धन का अर्जन नही होता है ।
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सेवा की अवधारणा में समय के साथ आए बदलाव
आज आधुनिक युग में भी सेवा का वहीं भाव है जो गाँधी जी ने दिया । माननीय अशोक भारत जी बताते है की गाँधी जी ने निष्काम सेवा को करने के लिए कहा था, वही सेवा आज भी चाहिए और लोगों को निष्काम सेवा का भाव रखकर हिं कोई सेवा का कार्य करना चाहिए । समय बदल सकता है , लोगों के विचार बदल सकता है परन्तु लोगों को आज भी गाँधी जी के सेवा के अवधारणा को मानकर ही सेवा को अपनाना चाहिए । आज जो लोग सेवा कर रहे है उनका मुख्य उदेश्य है धन का अर्जन जबकि ऐसा नही होना चाहिए , जो व्यक्ति सेवा का व्रत धारण करता है तो उसे किसी भी प्रकार का स्वार्थ नही रखना चाहिए । जिस प्रकार से किसी व्यक्ति के घर कोई मेहमान आता है तो उसको जो सेवा दिया जाता है तो उससे किसी भी प्रकार का स्वार्थ या धन नही लिया जाता है , ठीक उसी प्रकार का निःस्वार्थ सेवा करना ही व्यक्ति का वास्तविक सेवा होना चाहिए । वर्तमान का जो सेवा का रूप है वो बिलकुल व्यवसायिक हो गया है, परन्तु निवेदिता निलयम का सेवा का अर्थ वही है जो गाँधी और विनोबा भावे ने दिया है। आज का समाज दिन – प्रतिदिन सेवाके भाव को विस्मृत करता जा रहा है , लोग भौतिकता में इस प्रकार से जकड़ गये है कि सेवा के वजाय शोषण करना शुरू कर दिए है । परन्तु गाँधी के विचारो से ओतपोत होकर चलने वाली संस्था निवेदिता निल्याम्म आज भी सेवा का वहीं स्वरुप अपनाकर चल रही है जो गाँधी ने दिया । बाबा आमटे के सेवा भाव को आज भी इस संस्था का मूलमंत्र है ।
खंड-.5   परिणाम: उपलब्धिया  परिवर्तन

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सेवा के संदर्भ में वैचारिक वदलाव
कार्य क्षेत्र में आया हुआ बदलाव
सेवा का अर्थ है की जब कोई व्यक्ती किसी का मदद करता है तो उसके बदले वह कुछ धन का अपेक्षा करता है । ये वर्तमान में सेवा का भाव हो चूका है । जबकि सेवा का ये मतलब कतई नही है । लोग आज आपसी भाईचारा का विचार धीरे धीरे नष्ट करते जा रहे है और उसके स्थान पर धन प्रेमी बनते जा रहे है । गाँधी जी और विनोबा भावे ने जो सेवा का स्वरुप प्रस्तुत किया सरे देशवासिओं के सामने वर्तमान में वो स्वरुप कहीं भी देखने को नही मिलता है । आज का कोई भी व्यक्ति सेवा को स्वयंसेवा के भाव से करना पसंद नही कर रहा है। जैसे – जैसे समाज में वैश्वीकरण हो रहा है वैसे वैसे सेवा का स्वरुप भी बदलता जा रहा है, आज के सन्दर्भ में लोग सेवा को एक व्यवसाय के रूप में देखने लगे है ।
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वर्तमान परिदृश्‍य में आए हुए परिवर्तन
वर्तमान समय में समाज में काफी परिवर्तन हो गया है । लोग आज किसी का मदद करना तक नही पसंद कर रहे है, ऐसे में समाज बिलकुल ही अपना एक अलग ही रूप रेखा तैयार कर रहा है । जिस तरह से न्गंन्धी जी और विनोबा भावे ने समाज निर्माण किओ कल्पना की और उसे साकार करने के लिए अपने को समर्पित किया आज वैसे लोगो की कमही पुरे समाज को है । आज लोग उनको मानने वाले बहुत कम हूँ गये है। गाँधी जी ने रचनात्मक कार्यक्रम के माध्यम से एक समतामूलक समाज निर्माण की कल्पना की परन्तु आज भी वो सपना अधुरा रह गया । लोग गाँधी जी के कार्यों को थोडा भी अपनाना नही चाहते क्यूंकि इसमें उनकू कोई भी आर्थिक लाभ नजर नही आता है । यदि कुछ लोग मानने वाले है भी तो वे बहुत ही सिमित संख्या में और जब वे अपने प्रयासों के बलपर समाज में परिवर्तन लेन की कोसीसी करते है तो जो लोग उनको नही मानने वाले है उनका सीधा विरोध करना पसंद करते है । इस तरह वर्तमान में समाज का परिवर्तन हुआ है की लोग एकदूसरे के करीब होकर भी दूर रहना पसंद करने लगे है । 
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किए गए परिवर्तनों, परिणामों एवं परम्‍परा को जारी रखने के लिए प्रयास
गाँधी जी ने जिस बुनियादी तालीम की कल्पना अपने रचनात्मक कार्यक्रम में की उसको कार्यरूप प्रदान करने के लिए निवेदिता निलयम परिवार 1990 से कोसिस करते हुए और उसको बचाने का प्रयास करता है।  गाँधी जी बुनियादी शिक्षा के विकास के लिए जगह-जगह बुनियादी विद्यालयों की स्थापना करवाए परन्तु लगभग सभी बुनियादी विद्यालयों की स्थिति खराब ही चल रही है । ऐसी स्थिति में गाँधी जी का नई तालीम का अस्तित्व संकटग्रस्त लगता है । इस प्रकार गाँधी के सपनो को साकार करने के लिए निवेदिता निलयम अपने विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओ के द्वारा अपना कोसिस कर रहा है। नई तालीम के और पुरे देश भर में विकसित करने के लिए संस्था अपना युवा संवाद अभियान चला रही है । जिसके माध्यम से युवाओ को जोडकर अपनी इस विरासत को संरक्षित किया जा सके । 
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हस्‍तक्षेप पश्‍चात की स्थिति का‍ विश्‍लेषण
निवेदिता निलयम के कार्यो एवं योजनाओ को देखने के पश्चात ऐसा लगता है की इसका विकास पुरे देश में होना चाहिए । जो लोग अपने किसी न किसी कारण वस इस तरह के रचनात्मक कार्यों को नही कर पते है, तो उनको इस संस्था के माध्यम से रचनात्मक बनाया जा सकता है । आज देश के युवाओ में आपर शक्ति है लेकिन उसको आभास नही हो रहा है ऐसे में जरुरत है तो ऐसी ही संस्थाओं का जो गांव – गांव , शहर –शहर जाकर युवाओ को जगाने का कम करे और गाँधी जी के सपनो का भारत का निर्माण कर एक समान भारत का निर्माण करने में अपना योगदान दे सके ।

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निष्‍कर्ष एवं परिणाम
निवेदिता निलयम जो की गाँधी की ब्रम्हचर्य के नियम को मानते हुए आज देश का एकलौता संस्था है जो आज भी नई तालीम को जमीनी स्तर पर कार्य रूप में प्रदान क्र रहा है । इसका मुख्य उद्देश्य है ज्यादा से ज्यादा संख्या में युवाओं को प्रशिक्षित कर समाज सेवाके लिए तैयार किया जाये । अभीतक लगभग एक सौ पचास ऐसे युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चूका है जो देश के विभिन्न कोने में जाकर गाँधी जी नई तालीम के इस शिक्षा का प्रचार – प्रसार कर रहे है । इसके साथ – साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में युवाओ के अंदर गाँधी जी के इस रचनात्मक कार्यक्रम को विकसित करने का सफलतम प्रयास करने की कोसिस कर  रहे है। रह
आज भी यह संस्था देश में युवाओं के अप्पने जीवन के उद्देश्य को खोजने में जिस प्रकार से सेवा प्रदान कर  रही है तो इस संस्था को पुरे देश में व्यापक स्तर पर स्थापित किये जाने की आवश्यकता है। जब ऐसे संस्थाओं को व्यापक स्तर पर किया जायगा तो ज्यादा से ज्यादा संख्या में युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जायगा । जिसके बाद गाँधी और विनोबा भावे के सपनो को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है ।
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युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अलग से प्रशिक्षण केंद्र की व्यवस्था है , जिसमे की खादी और हैंडलूम आदि की प्रशिक्षण दिया जाता है जो मुख्य आश्रम से एक किलोमीटर दुरी पर स्थित है । आश्रम के अंतर्गत ही खेती करने की व्यवस्था है जिसमे खेती कर आश्रम में रहने वाले वासिओं के लिए अन्नाज का उत्पादन किया जाता है ।
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