पागल प्रेमी आवारा - लेखक की कलम से
लेखक की कलम से
"लोग कहते हैं प्यार करने की कोई उम्र नही होती है "। शायद ये किसी ने सच ही कहा है । क्यों की आज जो मैं बताने जा जरा हूँ वो कहीं न कहीं उपरोक्त कथन को शाबित करता है । ऐसा 21वी सदी में घटा कोई नई घटना नही है । आज के नाऊजावांन को इस पुस्तक में लिखे सच्ची घटनाओं को विश्वास कर पाना संभव नही होगा क्योंकी ये सारी घटना आज से 2 दसक पहली की है जब प्यार मतलब बहुत बड़ी बात हुआ करती थी । उस वक़्त प्यार करना और उसे एक नया रूप देने का जो कार्य इस पात्र ने किया है वही प्यार आज की दौर में सब करते हैं । एसा कहना गलत नही होगा की 21वी सदी के प्रेम की परिभाषा को प्रतिपादित करने का कार्य इन्होंने किया है । ये किसी व्यक्ति या पशु को हानि पहुचने के बारे में नहीं है। ये तो एक छोटे से बच्चे के बारे में है जो अपने जीवन में अपने सच्चे प्यार की तलाश में दर दर भटकता रहा और इसी खोज में अपनी उम्र के 30 साल बिताने के बाद प्यार का सच्चा मतलब तलाशने में कामयाब हो पाया । आज वो एक प्रतिष्टित व्यक्ति के रूप में जाना जाता है । ये कहानी पूरी तरह सच्ची घटना पर अधारित है । इसमे बस पत्तर का नाम परिवर्तित किया गया है बाकि सारी वस्तु बिल्कुल वास्तिविक घटना से जुडी हुई है । हर नोजवान को ये पुस्तक एक बार जरूर पढ़नी चाहिए । इससे उन्हें अपने जीवन को सवारने और अंध-प्रेम के चक्र में न पड़ के अपने जीवन का मकशद तलाशने में आसानी होगी । आप ने इस पुस्तक को खरीदने की चेस्टा की उसके लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद । आशा करता हूँ की आपके उम्मीद पर मैं खरा उतर पाऊँगा ।
लेखक
आनंद श्री कृष्णन
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